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मात्सुओ बाशो के हाइकु

  • golchakkarpatrika
  • Nov 15
  • 2 min read

Updated: Nov 19

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मात्सुओ बाशो के हाइकु
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पल्लवी व्यास

यह वसंत का आना है

या बरस का बीत जाना?

उपांतिम दिन



पहाड़ी अज़ेलिया के फूल

रंग दिए हैं लाल

कोयल के आंसुओं ने



कितनी देर

कोयल का इंतज़ार 

कुछ हज़ार साल



चाँद की परछाई

शरद की एक सुहानी रात

नज़रों को नया साल



इक फूल सा चेहरा

शर्माता

धुंधला चाँद 



इस दुनिया में जीना

बकौल सोगी उतना ही

जितना किसी बारिश से बचना



साल का पहला दिन

मुड़कर देखने पर मैं अकेला

पतझड़ की कोई शाम



कोयल ने रंग दिया है

मछली को

शायद



दस पतझड़

अब है तोक्यो

मेरा घर



धुंधली बारिशें 

वे दिन जब माउंट फूजी दिखता नहीं

और भी सुंदर दिखता है



चाँद और बर्फ़ 

बचते बचाते एक दूजे से नज़र 

वर्षांत



इक उड़ती हुई कोयल

पुकारती बार बार

बेचैन



विदा लेता वसंत

पक्षियों का रुदन

मछलियों की आँखें नम 



डूबता सूरज

एक नर्म ऊष्म धागा

स्मृतिशेष अवशेष



पवित्र

वे आंसू जो रंगते हैं 

गिरी हुई पत्तियां 



विचार…

यह सड़क

जिस पर कोई नहीं जाता

पतझड़ लेता है विदा



मात्सुओ बाशो (1644-1694) एक महान जापानी कवि थे। बाशो ने हाइकु को काव्य विधा के रूप में स्थापित किया। बाशो का बचपन का नाम ‘जिन शिचरो’ था। इनके शिष्य ने केले का पौधा भेंट में दिया तो उसे रोप दिया। वहीं अपनी कुटिया भी बना ली। ‘बाशो-आन’ (केला) के नाम पर अपना नाम भी बाशो कर लिया। बाशो हाइकु को दरबारी या अन्य शब्द क्रीड़ा से बाहर लेकर आए और काव्य की वह गरिमा प्रदान की कि विश्व भर की भाषाओं में हाइकु को प्राथमिकता दी जाने लगी।


पल्लवी व्यास युवा अनुवादक हैं। गोल चक्कर पर पूर्व प्रकाशित उनके अनुवाद के लिए देखिए : कोबायाशी इस्सा के हाइकु, पैट श्नाइडर की कविताएँ






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