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खेमकरण ‘सोमन’ की कविताएँ
हमेशा होश में लिख
कदम बढ़ाकर जोश में लिख
आँखों में आँखें डालकर लिख
ख़ुद को थोड़ा उबालकर लिख


हिमांशु जमदग्नि की कविताएँ
यहाँ हर रात काल गश्त लगाता है
खा जाता है उन सृपों के सर
जो कोतवाल के ख़िलाफ़ जाने वाले थे


सुधीर डोंगरे की कविताएँ
आज अचानक उसे स्मृत हो आयी स्नानागार की वह दीवार जहाँ वह रखकर भूल आयी थी अपने कुंवारेपन का झीना लिबास।


रुपेश चौरसिया की कविताएँ
मैंने नींद में धोखे से
ख्वाब देख लिया था
नींद ऐसे टूटी जैसे किसी ने
ज़ोरदार तमाचा लगाया हो


जय प्रकाश सिंह की कविताएँ
वह मानती थी कि हर अच्छी चीज़ को खिलना ही चाहिए
कि हर अच्छी चीज़ वितरित होनी चाहिए


शिवांगी गोयल की कविताएँ
बेटियाँ अंतिम संस्कार के दिन आ पाती हैं
अपने ससुराल से लौटकर
बस अंतिम प्रणाम कर पाती हैं
और माँ के साथ बैठकर रो पाती हैं।








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