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सायत नोवा की कविताएँ

  • golchakkarpatrika
  • Sep 14
  • 3 min read
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सायत नोवा की कविताएँ
अंग्रेज़ी से अनुवाद : बेजी जैसन


उसके लिए जो घट रहा है एक तिल के सबब से


जो किसी लजाती प्रेमिका के तिलों पर गीत लिखना

तो, एक तिल से उसने दुनिया को जीता कहना

एक तिल से गुलाबों से भरे गरम मैदान पर किया राज

एक तिल ने उसके प्रेमी का मन मोहा आज


एक तिल ने समंदर को शांत किया संवार

एक ने गिरा दी सृष्टि की मीनार

और एक ने ठप्प किया चांदी का बाज़ार 

और फिर एक ने ख़ाली की खदान 


एक तिल ने जोड़ दिया निर्मल से मलिन 

एक ने पालतू किया पहाड़ी हिरण

एक तिल को मिली माणिक की अंगूठी सौगात

और सोने का ख़ज़ाना लगा एक के हाथ


एक तिल ने मेहमानों का मनोरंजन किया

एक तिल पर आ गया सौदेबाज़ का जिया 

और फिर एक के ख़ातिर टिफ्लिस का चौराहा भरा

और एक और ने दुकानों में मचा दी भगदड़ ज़रा


एक ने तारों से  किरण को उठाया

एक ने कमी और अति को उलझाया

वश में कर गया आशिक़ और उसके साज को एक तिल

और एक ने चुरा लिया सायत नोवा का दिल



देह की कविता


सृष्टिकर्ता की जय, उस भगवान की, जिसने अस्तित्व को रचा

जब मैं मिट्टी था, जब मैं जल था, मैं रक्तिम समंदर में छलक गया

जब हवा ने कलम में लगी आग को भड़काया, तब मैं  काग़ज़ पर गिर पड़ा 

भगवान की मर्ज़ी से एक ऐसे शहर में मेरी शिनाख्त हुई, जो कहीं नहीं था।


मेरे तीन महीने गुज़रे, मेरी माँ के चेहरे पर आये नूर को मेरे होने का पता था

छठे महीने, उसके लाल कमरबंद ने मुझे शरण दी 

नवें महीने मैंने मेरे भगवान को मदद के लिए पुकारा

मैं पैदा हुआ, एक चपत पड़ी और मेरी आँखें खुलीं, मैंने देखा वसंत था।


पहला बरस गुजरा, तब मुझ में पवित्र तेल का गुण रहा

दूसरे में मैंने माँ की छाती छोड़ी 

तीसरे में, मैं रोया अकसर, पालने में बंधा रहकर

चौथे में, ज़मीन को रौंदते हुए, मैं डगमग चला


पाँचवा गुज़रा, मैंने अपना चेहरा पाया और पायी अपनी ज़ुबान 

छठे में, मसूड़ों ने नये दांतों के लिए जगह की

सातवें तक मैं नरम खाने से ऊब चुका था

आँठवे में, मैं जाग गया, और सीधा वसंत पर छा गया


नवाँ साल गुज़रा, पर मैं सशंकित था

दसवे साल मैं बेहताश भागा

ग्यारहवाँ साल मेरे दब्बू होते गुजरा,

और उसके अगले साल मुझे मालिक के हवाले कर दिया


तेरहवाँ साल मैंने अपनी कला में महारत हासिल की

और चौदहवें में मैंने अपने मालिक को लबादा भेंट किया

पन्द्रहवे साल मैंने सफ़ेद को काले रंग से मिला दिया


सत्रहवां, कोई ख़ास कहानी नहीं बनी

अठारहवे में बाग़ में खिला गुलाब दिखा

उन्नीसवे में मैंने इथियोपिया और भारत की यात्रा की

बीस में मैंने माणिकों का व्यापार किया


पच्चीसवे में बाज़ार में दाख़िल हुआ और उसे आज़माया 

तीस में मैं ड्रैगन बना और कसमसाया

पैंतीस में और कुछ नहीं, बस लिखा और मिटाया

चालीस में पक्षियों के साथ मेरा सब गया


जब पैंतालीस गुज़रा, मैं आधुनिक था, जानकार भी

पचास में शर्मसार रहा

पचपन में अफ़सोस कर नि:श्वास भरता रहा

साठ में बुजुर्गों को अनसुना किया


पैंसठ पर अक्सर आहें भरी 

सत्तर में आँखों की चमक हुई नदारद

पचहत्तर में मैं पगलाया, बेवकूफ़ भी रहा

अस्सी में पेट तक मेरा शरीर क़ब्र में लटका 


पचासी में रोग ने तन जकड़ा 

नब्बे में हर बात से मन उखड़ा 

पचानवे में मैं हज़ार साल जर्जर लकड़बग्घा बन गया 


पापी हूँ, ग़ुलाम भी- इंतज़ार मत करना

कौन है जिसने पाप नहीं किया? 

जब समय पूरा हो कौन पूछेगा ?

कह दो- सायत नोवा 

तुम सोलोमन की राह देखो, वह कहेगा

दुनिया बस एक पल की है,

क्यों करो भरोसा उस पर?


अज़रबैजानी से पीटर ओर्टे और मुराद जलिलोव द्वारा अंग्रेज़ी में किए गए अनुवाद पर आधारित



सायत-नोवा (जन्म : 1712, तिफलिस, जॉर्जिया — मृत्यु : 1795, तिफलिस) एक आर्मेनियाई गायक थे, जो अपने प्रेम गीतों के लिए प्रसिद्ध थे। सायत-नोवा ने पहले बुनकर के रूप में काम किया और बाद में (1750–65) जॉर्जिया के इराकली द्वितीय के दरबारी गायक (मिन्स्ट्रल) बन गए। 1770 में वे हाघबत के एक मठ में प्रवेश कर गए, और जॉर्जिया पर फारसी आक्रमणकारियों द्वारा शहीद कर दिए गए। उनकी अधिकांश बची हुई रचनाएँ अज़ेरी तुर्की में हैं; बाकी रचनाएँ अर्मेनियाई और जॉर्जियाई भाषाओं में हैं।


बेजी जैसन हिंदी और अँग्रेज़ी दोनों में लिखती हैं। लिखने की शुरुआत कविताओं से हुई। ब्लॉगिंग के प्रारंभिक दिनों में उनकी रचनात्मकता को पहचान मिली। गद्य-लेखन के बावजूद कविताओं से उनका संबंध अब तक अटूट है। अँग्रेज़ी में लिखी कविताओं का एक संग्रह ‘सोल ग्रै‌फिटी’ शीर्षक से प्रकाशित। ईमेल : drbejijaison@gmail.com उनसे अधिक परिचय के लिए देखें : तीन विश्व कविताएँ ओशन वुओंग की कविताएँ



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