top of page

ओशन वुओंग की कविताएँ

  • golchakkarpatrika
  • Jul 1
  • 8 min read
ree


ओशन वुओंग की कविताएँ
अनुवाद : बेजी जेसन


जलते शहर के साथ एक सुबह का गीत 


(दक्षिण वियतनाम, 29 अप्रैल 1975: कविता का संदर्भ तब का है जब साइगॉन पतन के कगार पर था। "आर्म्ड फोर्सेस रेडियो" ने आइरविंग बर्लिन का “व्हाइट क्रिसमस” बजाया — यह ऑपरेशन फ्रीक्वेंट विंड शुरू करने का संकेत था, जो अमेरिकी नागरिकों और वियतनामी शरणार्थियों की हेलीकॉप्टर से अंतिम निकासी थी।

मिल्क फ्लावर (सप्तपर्ण) को हनोई की शरद ऋतु के प्रतीकों में से एक के रूप में सराहा जाता है।)



                      गली में फैली हैं सप्तपर्ण की पंखुड़ियाँ 

                                                                                                     जैसे किसी लड़की के पोशाक के टुकड़े बिखरे हों



‘तुम्हारे दिन आनन्दमय और दीप्त हों…’



वह चाय का कप शैंपेन से भर, उसके होंठों तक लाता है.


        

            ‘खोलो’, वह कहता है

                           वह खोल देती है.

                                                  

                                                 बाहर एक जवान, सिगरेट थूकता है

        

            और चौराहा  कदमों की आवाज़ से

                         

                               ऐसे भर जाता है, जैसे आसमान से पत्थर बरस रहे हों.  ‘तुम्हारा हर 


                                                                 क्रिसमस उज्जवल हो’

        

            ट्रैफ़िक गार्ड 

                          बन्दूक की पेटी खोलता है

                                     उसका हाथ लड़की की सफ़ेद पोशाक की झालर पर 

                   चलाता हुआ 

                             

                         गार्ड की काली आँखें.


                   लड़की के काले बाल.

                         एक अकेली मोमबत्ती.

                                     उनकी परछाइयाँ: दो बातियाँ.


एक मिलिटरी ट्रक तेज़ी से चौराहे से गुज़रता है, 

    उसके भीतर से उठती हैं 

                बच्चों की चीखें. एक दुकान की  खिड़की पर 

           कोई दे मारता है एक साइकिल. जब धूल छँटती है,

                  एक काला कुत्ता.  सड़क पर लेटा पड़ा , 

                          हाँफता हुआ. उसके पिछले पैर

                                         ‘उजले सफ़ेद क्रिसमस की’  चकाचौंध में

                                   कुचले हुए.

                                    

नाइटस्टैंड पर चंपा की छोटी टहनी खिलती हुई जैसे कोई राज खुला हो

                                                                                 पहली बार.

                                                                  

‘पेड़ों की चोटियाँ चमक रही और बच्चे सुन रहे’ , 

          गिरे-फैले कोकाकोला में औंधे मुँह गिरा पड़ा 

                                                       मुख्य पुलिस अधिकारी 

                                                    

                                                          उसके कान के नज़दीक गीली होती हुई

उसके पिता की हथेली जितनी बड़ी तस्वीर



सुबह का गीत बेवा की तरह शहर में भटकता हुआ

                 ‘मैं देख रहा हूँ सपना …एक सफ़ेद… एक सफेद … ‘ 

                                                              उसके कंधों से झरती हुईं

बर्फ़ की परतें 


                                                      

खिड़कियों से टकराती बर्फ़. गोलीबारी में 

                                       कटी-फटी बर्फ़. लाल आकाश.


                      बर्फ़ शहर की दीवारों पर चढ़ते टैंकरों पर


एक हेलीकॉप्टर जीवित लोगों को पहुँच से बाहर पहुँचाता हुआ


                   

                      इतना सफ़ेद हो चुका है शहर जैसे अब स्याह होने के लिए तैयार हो


                                       

                                         भागो भागो भागो …रेडियो उकसा रहा है

सप्तपर्ण के फूल की पंखुड़ियाँ एक काले कुत्ते पर

                            जैसे किसी लड़की के पोशाक के टुकड़े बिखरे हों 


‘तुम्हारे दिन आनन्दमय और दीप्त हों…’  लड़की कह रही है

                दोनों यह सुन नहीं पा रहे. होटल डगमगा रहा है उनके तले.

                          बिस्तर, जैसे बर्फ़ का मैदान

       

                                                                 दरक रहा हो


                                               

‘चिंता मत करो’, वह कहता है, साथ ही पहला बम फटता है और उजले होते हैं 

                             उनके चेहरे, ‘युद्ध मेरे भाई जीत गए है….

                                                                    और कल हम...’

                                                और बिजली गुल होती है.



‘मैं सपना देख रहा हूँ, सपना देख रहा हूँ….

                                               ...बर्फ में बजती स्लेज की घंटियों की ..."



चौराहे पर नीचे : आग के लपटों में घिरी एक नन 

                                               अपने ईश्वर की ओर दौड़ लगाती हुई-


‘खोलो’, वह कहता है

                            वह खोलती है



कगार के थोड़ा और क़रीब 


इतने जवाँ कि उन्हें यकीन है कि कुछ भी उन्हें बदल नहीं सकता, हाथों में हाथ डाले

वे साथ-साथ बम के गड्ढे में उतरते हैं. काले दाँतों से 

भरी रात. लड़के की नक़ली रोलेक्स घड़ी, जो कुछ हफ़्तों में ही


लड़की के गाल के पास चूर-चूर होने वाली है, अभी ठीक 

उसके बालों के पीछे, जैसे कोई नन्हा-सा चन्द्रमा उगा हो,

मद्धम रोशनी बिखेर रही है


इस संस्करण में साँप का सर नहीं है– वह सुन्न है

जैसे कोई डोरी खुल गयी हो प्रेमियों के टखने से


लड़की का सफ़ेद सूती स्कर्ट वह ऊपर उठाता है, एक दूसरे पहर को

उजागर करता हुआ. उसका हाथ. उसके हाथ. शब्दांश 


उनके भीतर. हे पिता, हे पूर्वसंकेत, अंकित करो इन्हें

उसके अन्तर में- जैसे खेत चीरता है खुद को 


झींगुरों की आवाज़ से. मुझे बताओ विनाश कैसे घर करता है

कूल्हे की हड्डियों में. हे माँ,

हे मिनट की सुई, मुझे सिखाओ एक पुरुष को वैसे थामना जैसे प्यास 


पानी को थामती है। ऐसे कि हर नदी हमारे होठों से 

ईर्ष्या करे। हर चुंबन शरीर से ऐसे टकराए

जैसे ऋतु। जहाँ सेब गड़गड़ाते हुए 

धरती पर लाल खुर मारकर गिरे. और मैं तुम्हारा बेटा हूँ।



खिलौना नाव

(यह कविता  अमेरिकी पुलिस द्वारा मारे गए 12 वर्षीय अश्वेत बालक तमीर राइस को समर्पित है।)


पीला प्लास्टिक

काला समंदर


गहराते नक़्शे पर

आँख की शक्ल मे एक ठीकरा 


कोई किनारा नहीं अब

जहाँ पहुँचना हो– या 

निकलना ही

हवा नहीं, पर

यह इंतज़ार जो 

झकझोरता है


जैसे पलों को 

दर्ज करने से

उन्हें गुजरने से रोका जा सकता


खिलौना नाव– बिना चप्पू के

हर लहर

जैसे हरा चिराग 

जो टिक गया हो


खिलौना नाव

उस पर एक खिलौना पेड़ से

गिराई हुई खिलौना पत्ती 

इंतज़ार में


इंतज़ार में

जैसे कि तुम्हारे ऊपर

विरल होती गौरैया

अपने ही नामों से 

छेदी नहीं गईं हों.



डेटो-नेशन


एक मज़ाक था — जो यूँ ख़त्म होता : "हूँ?" जैसे बम ने कहा हो — "यह रहा तुम्हारा पिता।"

और अब देखो — तुम्हारा पिता तुम्हारी साँसों में घुल गया है।

देखो, कितनी हल्की हो गई है धरती—उसके बाद।

"पिता" शब्द लिखना,

जैसे किसी उजले, विस्फोटक दिन से एक चुप्पा हिस्सा काट लेना।

रोशनी इतनी है — कि इसमें डूबा जा सकता है, मगर इतनी नहीं — कि यह हड्डियों में उतर सके,

और वहीं ठहर जाए। "यहाँ मत रुको मेरे बच्चे" उन्होने कहा, “तुम तो फूलों के नामों से ही टूट गए हो. अब 

और मत रोओ... "मैं अंधेरे की ओर भागा—रात की ओर, जहाँ मेरी परछाई धीरे-धीरे खिसकती रही

अपने पिता की ओर



यह भी नहीं


सुनो,

मैं पहले 'फैग' था, अब एक चेकबॉक्स हूँ.

जब कलम की नोक ने मेरी पीठ पर प्रहार किया – मैंने विकास की छाप को महसूस किया.

आधी रात को नगरपालिका के क़ब्रिस्तान में, मैं अकेला नहीं नाचूँगा, अपने फोन पर उदास गीत बजाते हुए—बिना किसी वजह के.

मैं तुमसे वादा करता हूँ, मैं यहाँ था. मैंने वो सब महसूस किया, जो मौत को इतना विशाल बना देता है कि उसे हवा से अलग महसूस नहीं किया जाता– और मैं उसके भीतर बर्बाद होता रहा, जैसे तूफान में फँसी हवा

जैसे कि लिल पीप कहता है, “मैं कल सुबह लौट आऊँगा’, जबकि तुम ठीक-ठीक जानते हो कि इसका अंत कैसे होगा.

जैसे मैं तब भी नाचता रहा, जबकि गीत ख़त्म हो चुका था, सिर्फ़ इसलिए कि उस गीत ने मुझे आज़ाद किया.

जैसे स्ट्रीटलाइट एक बार झपकती है,रात की ड्यूटी पर जागने से पहले—ठीक वैसे ही जैसे हम करते हैं.

जैसे हम— मैं और वह लड़का—‌ एक-दूसरे की ओर देखकर धीरे से कहते हैं, ‘सॉरी’, जब दाँत होते हैं.

जबकि दाँत हमेशा होते ही हैं, आशय के साथ.

जब मैंने ख़ुद को गुरुत्वाकर्षण में झोंक दिया और उसका ही इस्तेमाल किया. हा.

अपने दुःखों का फ़ायदा उठाकर, उसके सहारे मैं बाहर निकल आया.

मैं पहले 'फैग' था, अब मैं 'लिट' हूँ. हा.

एक बार, ब्रुकलिन की एक छत पर एक पार्टी में, जहाँ 'आर्टसी वाइब' थी, एक युवा औरत ने पेय की चुस्की लेते हुए कहा : “तुम बहुत लकी हो. तुम गे हो और युद्ध वगैरह पर लिख भी सकते हो. मैं तो बस एक गोरी (स्त्री) हूँ. [ठहराव] मेरे पास कुछ नहीं है।” [हँसी, ग्लास की खनक]

भावनाओं की तरह नहीं होता है ख़ून, महसूस करने पर यथार्थ हो जाता है

क्योंकि हर कोई जानता है, पीले दर्द को जब अमेरिकी अक्षरों में अंकित किया जाता है, तो वह सोना बन जाता है.

हमारा दुख मिडास का छुआ हुआ. इंद्रधनुष की चमक वाला नापलम.

मैं असली बनने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन इसकी कीमत ज़्यादा है.

कहते हैं धरती घूमती है और इसलिए हम गिरते हैं—पर सब जानते हैं, गिरने की असली वजह संगीत है.

वैसे मशीनगन की फायरिंग पर नाचना मुश्किल साबित हुआ है.

फिर भी, मेरे लोगों ने इसके लिए एक लय बनाई. एक रास्ता.

मेरे लोग—फोटोग्राफ़ में, इतने जड़, शवों की तरह.

मेरी हार यह थी कि मुझे उस जड़ता की आदत हो गयी.

मैंने हमारी ओर देखा, TIME के फ़ोटोग्राफ़र की परछाईं में कुचले हुए 

और सोचना छोड़ दिया— “उठो, उठो।”

मैंने गुलाबी भोर में कब्रिस्तान से उठती भाप देखी और मुझे लगा, मरे हुए अब भी साँस ले रहे हैं. हा.

अगर वे मेरे लिए आएँ, तो मुझे (घर ले चलना) बाहर ले जाना.

क्या तो हो अगर मुझे इस हादसे ने नहीं बनाया हो, बल्कि उसके मलबे ने?

क्या तो हो कि इसे ऐसे ही होना था : माँ, शब्दों का कोश, 2007 में ईस्ट विलेज के एक कमरे में, एक मोहॉकधारी लड़के की कॉलरबोन पर कोकीन की लाइन?

डॉक्टर, मुझमें क्या गड़बड़ है? ज़रूर इसके लिए कोई गोली होगी.

देर हो चुकी है—ये शब्द अब तुम्हारे दिमाग़ में छर्रों की तरह व्याप्त हैं.

जो हाई स्कूल में असंभव था, मैं अब वही बना : एक अंतिम रक्षा-पंक्ति वाला योद्धा. पन्नों पर धावा बोलता हुआ, तुम्हारे लिए रास्ता बनाता हुआ, प्रिय पाठक, यहीं रहकर कहीं भी जाये बिना.

क्योंकि सच कहती थी परियों की कहानियाँ–यहाँ से बाहर निकलने के लिए तुम्हें जादू की ज़रूरत होगी.

बहुत पहले, एक और जीवन में, आयोवा से गुजरती एमट्रैक ट्रेन में, मैंने कुछ धुंधले सेकंडों के लिए एक आदमी को देखा था : सर्द घास के मैदान में, हाथ बगल में, पीठ मेरी ओर, बस खड़ा था, सिर्फ़ उसके बाल हिल रहे थे, धीमी हवा में.

फिर खेतों की ग्रे लहरें, ट्रैक्टर, टूटे खलिहान, और खाली चरागाहों में काले साइकामोर लौटे—और मैं रोने लगा.

मैंने जोअन डिडियन की The White Album बंद की और अपने सिर के चारों ओर एक नई अँधेरी चुप्पी ओढ़ ली.

मेरे पास बैठी औरत ने मेरी पीठ सहलाई, मिडवेस्टर्न लहजे में कहती रही, “कोई बात नहीं बेटा. इस दुख को बाहर आने का रास्ता दो. टूट जाने में कोई शर्म नहीं. तुम बैठो, मैं चाय लाती हूँ।" यह सुन मैं और भी बिखर गया.

वह वापस आई, पेपर कप में लिप्टन लेकर, उसकी आँखें—नीली नहीं, पर वहीं. वह पूरी यात्रा में चुप रही, मिसूला में उतरी, घुटने पर हाथ रखकर कहा : “ईश्वर अच्छा है। ईश्वर अच्छा है।”

अब मैं कह सकता हूँ—यह सुंदर था, मेरा दर्द, क्योंकि वह किसी और का नहीं बस मेरा था.

मैंने चाहा एक बाँध बनना, ताकि नुकसान और न फैले. मैंने सोचा : मेरी गंदगी दुनिया में कहीं नहीं जाएगी. और मैं ख़ुद का हीरो बन गया.

क्या तुम्हें पता है मैंने कितने घंटेस्ट्रेट लड़कों को वीडियो गेम खेलते हुए देखा है?

बहुत ज़्यादा।

समय एक माँ है.

याद रहे—एक मुर्दाघर भी एक सामुदायिक केंद्र है.

मेरी भाषा में—जिसे मैं अब केवल आँखें मूँद कर  ही याद कर सकता हूँ—प्यार के लिए शब्द है: Yêu,और कमज़ोरी के लिए भी शब्द है: Yếu.

जिस लहजे में इसे कहते है, वही बदल देता है इसका अर्थ.

कुछ लोग इसे प्रार्थना कहते हैं। मैं कहता हूँ—“ज़बान संभाल के.”

जब मेरी माँ को बॉडी बैग में बंद किया गया, मैं फुसफुसाया था: “रोज़, वहाँ से निकलो। तुम्हारे पौधे मर रहे हैं.”

बस बहुत हो चुका.

शरीर, तुम मात्र एक दरवाज़ा मत बनो, जिसे मैं बस पार करूँ.

निःशब्दता. और कुछ नहीं.

वह आदमी, उस मैदान में, लाल स्वेटर पहने—इतना जड़ था,कि वह कुछ ज़्यादा ही यथार्थ लगने लगा था, जैसे किसी परिदृश्य चित्र में चाक़ू का घाव.

उसकी ही तरह मैंने भी घुटने टेक दिए.

मैंने घुटने टेके और तय किया : अब से सिर्फ़ आनंद होगा. फिर सब कुछ खुल गया. रोशनी मेरे चारों ओर सफ़ेद मौसम में भभक उठी—

और मैं, गीला और लहूलुहान, अपनी माँ से बाहर निकाला गया,चीखता हुआ—कि बस, बहुत हुआ.





वियतनाम में जन्मे, कवि और उपन्यासकार ओशन वुओंग का पालन-पोषण हार्टफोर्ड, कनेक्टिकट (अमेरिका) में हुआ और उन्होंने ब्रुकलिन कॉलेज (CUNY) से बी.ए. की डिग्री हासिल की। ​​अपनी कविताओं में वह अक्सर परिवर्तन और हिंसक नुकसान की पड़ताल करते हैं। वुओंग के कविता संग्रहों में टाइम इज़ ए मदर (2022) और  नाइट स्काई विद एग्जिट वाउंड्स शामिल हैं। वह टीएस एलियट पुरस्कार (2017) के विजेता हैं। उनके उपन्यासऑन अर्थ वी आर ब्रीफली गॉर्जियस  (2019) को नेशनल बुक अवार्ड फॉर फिक्शन, कार्नेगी मेडल इन फिक्शन, एस्पेन वर्ड्स लिटरेसी प्राइज और PEN/हेमिंग्वे डेब्यू नॉवेल अवार्ड के लिए चुना गया था। इस उपन्यास को सेंटर फॉर फिक्शन फर्स्ट नॉवेल पुरस्कार और न्यू इंग्लैंड बुक अवार्ड फॉर फिक्शन के लिए भी चुना गया था। उनके साहित्यिक काम का हिंदी, कोरियाई, रूसी और वियतनामी में अनुवाद किया गया है।



बेजी जैसन हिंदी और अँग्रेज़ी दोनों में लिखती हैं। लिखने की शुरुआत कविताओं से हुई। ब्लॉगिंग के प्रारंभिक दिनों में उनकी रचनात्मकता को पहचान मिली। गद्य-लेखन के बावजूद कविताओं से उनका संबंध अब तक अटूट है। अँग्रेज़ी में लिखी कविताओं का एक संग्रह ‘सोल ग्रै‌फिटी’ शीर्षक से प्रकाशित। ईमेल : drbejijaison@gmail.com उनसे अधिक परिचय के लिए देखें : तीन विश्व कविताएँ





3 Comments


Guest
Jul 03

बहुत सुंदर रचना

Edited
Like

Venus
Jul 01

Very good poems.

Like

Kumar Mukul
Jul 01

युद्ध और हिंसा के परिणामों की मार्मिक कविता

Like
bottom of page