रोक डाल्टन की कविताएँ
- golchakkarpatrika
- Nov 29
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रोक डाल्टन की कविताएँ
अनुवाद : मनोज पटेल
भयानक बात
मेरे आँसू तक
सूख चुके हैं अब तो
मैं, जिसे भरोसा था हर एक चीज़ में
हर किसी पर
मैं, जिसने बस थोड़ी सी नर्म-दिली चाही थी
जिसमें और कुछ नहीं लगता
सिवाय दिल के
मगर अब देर हो चुकी है
और अब नर्म-दिली ही काफी नहीं रही
स्वाद लग गया है मुझे बारूद का।
कविता से
मैं तुम्हारा स्वागत करता हूँ कविता
बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आज तुमसे मुलाक़ात के लिए
(ज़िंदगी और किताबों में)
तुम्हारा वजूद सिर्फ़ उदासी के चकाचौंध कर देने वाले
भव्य अलंकरण के लिए ही नहीं है
इसके अलावा हमारी जनता के इस लम्बे और कठिन संघर्ष के
काम में मेरी मदद करके
तुम आज मुझे बेहतर कर सकती हो
तुम अब अपने मूल में हो :
अब वह भड़कीला विकल्प नहीं रहीं तुम
जिसने मुझे अपनी ही जगह से काट दिया था
और तुम ख़ूबसूरत होती जाती हो
काॅमरेड कविता
कड़ी धूप में जलती हुई सच्ची ख़ूबसूरत बाहों के बीच
मेरे हाथों के बीच और मेरे कन्धों पर
तुम्हारी रोशनी मेरे आस-पास रहती है।
रोक डाल्टन (1935-1975) साल्वाडोर के कवि-पत्रकार और राजनीतिक एक्टिविस्ट थे। उन्हें लैटिन अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ कवियों में गिना जाता है।
दिवंगत मनोज पटेल हिंदी के बेहद महत्वपूर्ण अनुवादक थे। अनुवाद करना उनका जुनून था और उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कवियों का परिचय हिंदी संसार से कराया। उनके असमय निधन ने हिंदी की अपूरणीय क्षति की। यह प्रस्तुति गोल चक्कर की ओर से उनको सादर श्रद्धांजलि है। इन कविताओं को उपलब्ध कराया है कवि-चित्रकार मनोज छाबड़ा ने। मनोज पटेल से अधिक परिचय के लिए देखिए : टॉमस ट्रांसट्रोमर की कविताएँ, रॉबर्ट ब्लाय की कविताएँ।
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बहुत अच्छी कविताएं। डाल्टन की कुछ और कविताएं पढ़वाइए।
यादवेन्द्र