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रॉबर्ट ब्लाय की कविताएँ

  • golchakkarpatrika
  • Nov 16
  • 2 min read
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रॉबर्ट ब्लाय की कविताएँ 
अनुवाद : मनोज पटेल


कुछ लोग 


कुछ लोग 

निकल जाते हैं हमारी ज़िंदगी से बाहर 

कुछ लोग दाख़िल होते हैं हमारी ज़िंदगी में बिन बुलाए 

और बैठ जाते हैं 

कुछ लोग गुज़र जाते हैं धीरे से

कुछ लोग आपको थमाते हैं एक गुलाब

या ख़रीदते हैं एक कार आपकी ख़ातिर कुछ लोग

कुछ लोग आपके बहुत पास खड़े रहते हैं 

कुछ लोग एकदम भुला दिए जाते हैं आपसे 

कुछ लोग दरअसल आप ही होते हैं 

कुछ लोग जिन्हें आपने कभी देखा भी नहीं होता 

कुछ लोग साग खाते हैं 

कुछ लोग बच्चे होते हैं 

कुछ लोग चढ़ जाते हैं छत पर 

बैठ जाते हैं मेज पर कुछ लोग 

पड़े रहते हैं खाट पर 

टहलते हैं अपनी लाल छतरी के साथ 

कुछ लोग देखते हैं आपको 

कुछ लोग कभी ध्यान भी नहीं देते आप पर 

कुछ लोग अपने हाथों में लेना चाहते हैं आपका हाथ 

कुछ लोग मर जाते हैं रात में 

कुछ लोग दूसरे लोग होते हैं 

कुछ लोग आप होते हैं 

कुछ लोग नहीं होते अस्तित्व में 

कुछ लोग होते हैं।

                   


चिठ्ठी भेजने के लिए देर से शहर जाते हुए 


सर्द और बर्फ़ीली है आज की रात 

वीरान पड़ा है मुख्य मार्ग 

सिर्फ़ बहती हुई बर्फ़ ही कर रही है कुछ हरकत 

डाक पेटी के दरवाज़े को उठाते हुए छूता हूँ उसका ठंडा लोहा

एक प्यारी सी निजता है इस बर्फ़ीली रात में  

अभी और इधर-उधर घूमूंगा गाड़ी में 

अभी और बर्बाद करूंगा अपना वक़्त। 

                    


हाथों में हाथ 


हाथों में हाथ थामना किसी प्रिय का 

आप पाते हैं कि वे नाज़ुक पिंजरे हैं... 

गा रहे होते हैं नन्हे पंछी 

हाथ के निर्जन मैदानों 

और गहरी घाटियों में।

                  


रॉबर्ट ब्लाय (1926-2021) सुप्रसिद्ध अमेरिकी कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे।


दिवंगत मनोज पटेल हिंदी के बेहद महत्वपूर्ण अनुवादक थे। अनुवाद करना उनका जुनून था और उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कवियों का परिचय हिंदी संसार से कराया। उनके असमय निधन ने हिंदी की अपूरणीय क्षति की। यह प्रस्तुति गोल चक्कर की ओर से उनको सादर श्रद्धांजलि है। इन कविताओं को उपलब्ध कराया है कवि-चित्रकार मनोज छाबड़ा ने। मनोज पटेल से अधिक परिचय के लिए देखिए : टॉमस ट्रांसट्रोमर की कविताएँ 






1 Comment


विनय सौरभ
5 days ago

मनोज पटेल ने बहुत सुंदर अनुवादों के माध्यम से श्रेष्ठ कविताओं का परिचय हिंदी पाठकों का कराया। सचमुच उनके जाने से बड़ा नुकसान हुआ है।

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