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टी एस एलियट की कविताएँ

  • golchakkarpatrika
  • Dec 4
  • 5 min read
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टी एस एलियट की कविताएँ
अनुवाद : देवेश पथ सारिया


अमरता की बुदबुदाहटें


(जॉन) वेब्स्टर मृत्यु के बारे में सोचता रहता था

और उसने देखा था खाल के नीचे कपाल

और ज़मीन के नीचे छातीविहीन प्राणी

जो पीछे को झुक जाते थे बिना होठों के मुस्कुराते हुए


डेफोडिल का फूल गोलाई में नहीं बल्कि बल्बनुमा पद्धति से आकार पाता है

वह खोपड़ी की आँखों से झाँकता है

उसे ज्ञात था कि विचार मुर्दा जिस्म से लिपटा रहता है

और मजबूत करता है अपनी हवस और वैभव की चाह


(जॉन) डन, मैं सोचता हूँ, ऐसा ही (वेब्स्टर जैसा) एक और आदमी था

जिसने समझदारी का कोई विकल्प नहीं पाया

धरपकड़ करता और अधिकारपूर्वक दाख़िल होता

वह एक अनुभवी सिद्धहस्त था


उसे ज्ञात थी

अस्थिमज्जा की पीड़ा, पिंजर की कंपकंपी

माँस को किया गया कोई भी स्पर्श

अस्थियों के बुख़ार का निदान नहीं


.....


ग्रिश्किन (एक रूसी स्त्री) बढ़िया है :

उसकी रूसी आँखें गहराई तक झाँकती हैं और दर्ज करती हैं

अंदरूनी वस्त्र उतार देने पर, उसका प्रेमिल वक्ष

स्त्रीत्व के आनंद* का वादा करता है


सोफे पर बैठी वह ब्राज़ीलियन जगुआर

छलिए वानर को मजबूर कर देती है

वह चलती है बिल्ली-सी कुशलता के साथ

ग्रिश्किन के पास अपना एक छोटा-सा घर है


सुचिक्कन ब्राजीलियन जगुआर

अपने सघन वन में

इतना भी बिल्लियों-सा नहीं महकता

जितनी ग्रिश्किन अपने ड्राॅइंग रूम में


यहाँ तक कि अमूर्त उपस्थितियाँ भी

ग्रिश्किन के सम्मोहन में उसके गिर्द घूमती हैं

किंतु हमारे जैसे मनुष्य

उसकी सूखी पसलियों के मध्य घिसटकर चलते हैं

अपनी तत्वमीमांसा को समकालीन बनाए रखने के लिए।


*यहाँ एलियट ने Pneumatic bliss टर्म का इस्तेमाल किया है। इसे उस अर्थ में भी लिया जा सकता है। वर्तमान में इस टर्म का प्रयोग स्त्री के वक्ष के लिए किया जाता है।



बर्न्ट नॉर्टन*


(एक)


बीता हुआ समय और आने वाला समय

संभवतः दोनों ही भविष्य में मौजूद हैं

और भविष्य रहता है भूतकाल में।

यदि संपूर्ण समय वर्तमान है

तो सारा ही समय अपरिवर्तनीय है

जो हो सकता था, वह एक अमूर्तन है

केवल अनुमानों की दुनिया में

एक निरंतर बनी आई संभावना

जो हो सकता था और जो होता रहा

एक ही सिरे की ओर इशारा करते हैं, जो सदा वर्तमान है।

उन रास्तों पर जो हमने नहीं चुने

पदचापें होती हैं पुनर्ध्वनित

उन दरवाज़ों की ओर जिन्हें हमने खोला नहीं

गुलाबों के बगीचे की ओर जाते ‌‌‌‌‌‌‌हुए।

मेरे शब्द तुम्हारे ज़ेहन में गूँजते रहे।

                         लेकिन क्या हासिल होगा

गुलाब की पंखुड़ियों से भरे कटोरे पर जमी धूल को विचलित करने से

मुझे समझ नहीं आता।

                          अन्य पुनर्ध्वनियांँ

बाग़ में रहती हैं। क्या हमें उन पर ध्यान देना चाहिए?

जल्दी करो, पक्षी ने कहा, उन्हें ढूंढो, उन्हें ढूंढो, उन्हें ढूंढो,

हर कोने में। पहले द्वार के आर-पार,

हमारी पहली दुनिया (घर) में, क्या हमें उनका अनुकरण करना चाहिए

थ्रश (पक्षी) का धोखा? हमारी पहली दुनिया में।

वहाँ थे वे, संभ्रांत, अदृश्य

बिना दबाव डाले, मृत पत्तियों पर घूमते

पतझड़ की गर्मी में, लहराती हवा के बीच से गुज़रते

और बोल पड़ा पंछी,

झाड़ियों से आते अनसुने संगीत के जवाब में

और अनदेखी आँखें उस गुलाब को ढूंढ़े जाती हैं

और दीदार पा लेती हैं उस फूल का

वहाँ थे वे बतौर हमारे मेहमान, आतिथ्य स्वीकार करते

तो हम चल पड़े, और वे भी, औपचारिकता निभाते से

एक ख़ाली गली में, एक चौकोर घेरे में

सूखे हुए ताल में झाँकते हुए

सूखा हुआ ताल, सूखी कंक्रीट, भूरे उसके कोने

और ताल भरा हुआ था सूर्य की रोशनी से बने पानी से

और कमल खिले, आहिस्ता, आहिस्ता

रोशनी की गर्मजोशी से सतह चमक उठी

और वे हमारे पीछे थे, ताल में प्रतिबिंबित होते थे।

फिर एक बादल गुज़रा, और ख़ाली हो गया ताल।

जाओ, पंछी ने कहा, क्योंकि पत्तियाँ बच्चों से भर गई थीं

वे हँसी रोके हुए, छुपे हुए थे, उत्सुक-से।

जाओ, जाओ, जाओ पंछी ने कहा :

मनुष्य अत्यधिक वास्तविकता का सामना नहीं कर सकता।

बीता हुआ समय और आने वाला समय

जो हो सकता था और जो होता रहा

एक ही सिरे की ओर इशारा करते हैं, जो सदा वर्तमान है।


*इंग्लैंड में एक कंट्रीहाउस



एश वेनसडे (बुधवार)*


(एक)


क्योंकि अब मैं किसी बदलाव की उम्मीद नहीं रखता

क्योंकि मैं उम्मीद ही नहीं रखता

क्योंकि मुझे बदलाव की उम्मीद नहीं

इस आदमी जैसे नैसर्गिक गुण और उस आदमी जैसी संभावनाएं

मैं अब ऐसी वस्तुओं को पाने की चाहत में भटकता ही नहीं

(बूढ़े गिद्ध को पंख फैलाने से हासिल क्या?)

मुझे क्यों मनाना चाहिए शोक

कि अक्सर शासनरत सत्ता श्रीहीन हो चुकी है


क्योंकि मैं समझने की उम्मीद नहीं रखता

सकारात्मक समय के अशक्त वैभव को

क्योंकि मैं सोचता ही नहीं

क्योंकि मैं जानता हूँ कि मुझे नहीं जानना चाहिए

किसी चर और क्षणिक सत्ता के बारे में

क्योंकि मैं पी नहीं सकता

उस जगह, जहाँ वृक्षों में फूल आते हैं, और बसंत ऋतु बहती है, क्योंकि कुछ भी पुनः घटित नहीं होता।


क्योंकि मैं जानता हूँ कि समय सदा समय ही होता है

और वह इकलौती जगह सदा बनी रहती है

और जो यथार्थ है, वह केवल एक समय का यथार्थ है

केवल एक जगह का यथार्थ

और मैं आनंदित हूँ कि चीज़ें वैसी हैं, जैसी वे हैं

और मैं उस धन्य चेहरे का परित्याग करता हूँ

क्योंकि मैं किसी बदलाव की उम्मीद नहीं रखता

इसलिए मैं आनंदित होता हूँ, क्योंकि मैं कुछ निर्मित कर सकता हूँ

जिसके बारे में हर्षित हुआ जा सकता है


और ईश्वर से प्रार्थना है कि वह हम पर दया करे

और है प्रार्थना कि मैं भूल सकूँ

उन मामलों को जिनके बारे में मैं ख़ुद के साथ विमर्शरत रहता हूँ

बहुत अधिक व्याख्या करता हूँ

क्योंकि मैं किसी बदलाव की उम्मीद नहीं करता

इन शब्दों को ही होने दो जवाब

कि जो हुआ है, दोबारा नहीं होने देना है

उम्मीद है कि ईश्वरीय फ़ैसला हम पर बहुत कठोर नहीं होगा


क्योंकि ये पंख अब उड़ने वाले पंख नहीं हैं

बल्कि केवल हवा से टकराने वाले डैने हैं

हवा जो अब चहुँओर विरल और सूखी है

कामना से भी विरल और सूखी

यह हमें सिखाए परवाह करना और परवाह न करना, सिखाए हमें शांत बैठना


हम पतितों के लिए प्रार्थना कीजिएगा

अभी और हमारी मृत्यु पर

हमारे लिए प्रार्थना कीजिएगा

अब और हमारी मृत्योपरांत।


*ईस्टर से चालीस दिन पहले, पश्चिमी ईसाइयों के व्रत का दिन।


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टी एस एलियट (1888-1965) एक अमेरिकी-अंग्रेज़ी कवि, नाटककार, साहित्यिक आलोचक और संपादक थे, जो द वेस्टलैंड (1922) और फोर क्वार्टेट्स (1943) जैसी रचनाओं के साथ कविता में आधुनिकतावादी आंदोलन के नेता बने। एलियट ने 1920 के दशक से लेकर 20वीं सदी के अंत तक एंग्लो-अमेरिकन संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला। उनके उच्चारण, शैली और छंद में प्रयोगों ने अंग्रेज़ी भाषा की कविता को पुनर्जीवित किया।


देवेश पथ सारिया एक कवि-गद्यकार और अनुवादक हैं। उनसे पूर्व परिचय के लिए देखिए : इलेन काह्न की कविताएँ , ली मिन-युंग की कविताएँ, मासाओका शिकि की कविताएँ


प्रिंट स्वरूप में ये कविताएँ सदानीरा के वेस्टलैंड अंक में प्रकाशित हो चुकी हैं। ऑनलाइन इन्हें गोल चक्कर पर प्रकाशित किया जा रहा है।





1 Comment


कुमार मुकुल
Dec 04

एलियट की ऐसी जटिल कविताएं पढ़वाने के लिए शुक्रिया। ऐसी कविताएं प्रिय हैं मुझे।

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