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मासाओका शिकि की कविताएँ

  • golchakkarpatrika
  • Sep 29
  • 2 min read

Updated: Sep 30

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मासाओका शिकि की कविताएँ

अंग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया


इनमें से कुछ हाइकु हैं लेकिन सभी हाइकु नहीं हैं। वे अन्य जापानी काव्य विधाएँ हैं, जैसे ताँका।



जिस आदमी से 

मैं मिलता था आइने में 

वह अब नहीं रहा

अब मुझे दिखता है 

एक मायूस चेहरा 

जिससे आँसू बहते रहते हैं। 




चीड़ की 

प्रत्येक दुर्बल पत्ती पर 

ओस की बूँद ठहरी है 

हज़ारों मोती ठहरे हैं 

स्पंदित होते हैं 

पर गिरते नहीं हैं।




चाँदनी में कोयल यूँ रोई जैसे ख़ून उगल रही हो 

इस उदास आवाज़ ने मुझे बार-बार जगाया 

मुझे अपना दूरस्थ गृह नगर याद आया।




गाना कैसे चाहिए—

मेंढक और स्काईलार्क (पक्षी) परंपराएँ 

आपस में बहस कर रही हैं।




वसंत की सरगोशी में 

जब मैं तलवार सिरहाने रख कर सोया 

देर रात घर से

मेरी छोटी बहन सपने में आई।




खेत की हरीतिमा

बदल चुकी है 

राइस केक में।




गाँव जाकर देखा 

और लौट आया— अब देर रात

मैं बिस्तर में सोया होता हूँ और

खेत में सरसों के सुंदर फूल 

मेरी आँखों के सामने खिल उठते हैं।




पर्दे गिरे हुए हैं 

सम्राट की प्रेमिका 

अब भी बिस्तर में सोई है 

पिअनी के चटक फूलों पर

सुबह का सूरज चमकता है।




वसंत की बारिश 

एक छतरी के नीचे 

तस्वीरों की किताबों की दुकान‌ पर

वह पन्ने पलट रहा है।




एक मकड़ी को मारने के बाद 

कितना अकेला महसूस करता हूँ मैं 

इस ठंडी रात में। 




होलीहाॅक का फूल 

ऊपर उठता है 

साल के सबसे लंबे दिन से मिलन के लिए। 




मैं अब तक नहीं जानता 

कि मेरा दुख किस दिन ख़त्म होगा 

मैंने अपने छोटे से बाग़ीचे में उगाए 

शरद ऋतु के फूलों के बीज।




कट गया वृक्ष

अब कुछ जल्दी होती है 

मेरी खिड़की पर सुबह।




सौ मज़दूर 

खोद रहे हैं धरती—

लंबा दिन।




एक कौवा बोलता है 

माउंट फ्यूजी की तलहटी में 

आड़ू के फूल खिलते हैं 




एक पीतचटकी उड़ी :

वसंत का दिन 

अपने अंत पर।




उन्होंने इकट्ठा नहीं किया था

लौकी का रस 

परसों भी।




एक रोशनी 

नई प्रज्वलित 

सर्दी की पहली रिमझिम।




जब तब

गिर पड़ते हैं ओले

बरसात की झड़ी लगी है।




ठंड में 

देवता और बुद्ध 

साथ बैठकर ध्यान लगा रहे हैं।




बिजली चमकी

जंगल में पेड़ों के बीच 

मैंने पानी को देखा।




छः महीने के 

ख़ाली आकाश की ठंड में 

रोती है कोयल।




मैं सोच पा रहा हूँ

केवल बीमार होने के बारे में 

और बर्फ़ से घिरे होने के बारे में।




चम्मच भर 

आइसक्रीम 

मुझे फिर से ज़िंदा कर देती है।




एक पीली हरी मकड़ी 

रेंग रही है 

एक लाल गुलाब पर।




बार-बार 

मैं पूछता हूँ

बर्फ़ कितनी ऊँची है।



मासाओका शिकि (1867-1902) मीजी युग के एक जापानी कवि-आलोचक थे। उनका जन्म मात्सुयामा में हुआ। उन्हें परंपरागत हाइकु और टैंका को आधुनिक स्वरूप प्रदान करने के लिए जाना जाता है। 34 वर्ष की अल्पायु में उनका निधन हो गया। 


देवेश पथ सारिया एक कवि-गद्यकार और अनुवादक हैं। उनसे पूर्व परिचय के लिए देखिए : इलेन काह्न की कविताएँ , ली मिन-युंग की कविताएँ



1 Comment


कुमार मुकुल
Sep 29

हाइकु को लेकर कोई अच्छी राय नहीं थी अब तक, इनसे गुजरते राय बदली।

मुझे लगता है कि कविता अगर आपके भीतर सोच-विचार को जन्म दे तो वह अच्छी कविता है। यहां से नई संभावित कविता की राह खुल सकती है कभी-कभी।

पहला हाइकु पढ़ते विचार आया कि मुझे आइने में अब क्या दिखेगा ...

एक हाइकु पढ़ते सोचा कि मेढक तो ठीक है पर उस परदेशी पक्षी की आवाज कैसी होगी...

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