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विष्णु नागर की कविताएँ 

  • golchakkarpatrika
  • Jan 13
  • 2 min read



प्यार


मैं तुमसे प्यार करती हूँ

तुमसे मिलना चाहती हूँ

तुम्हारी आँखों में अपना अक्स देखना चाहती हूँ

आज और अभी नहीं

सात तारीख़ के बाद


सात तारीख़ के बाद क्यों

यह भी बताऊँगी

सात तारीख़ के बाद


आठ तारीख़ को बताओगी

बताया न, सात तारीख़ के बाद।



मनी लांड्रिंग


भिखारी ने

चार लोगों से

चाय के पैसे मांगे


और खाना खा लिया।



उनकी काँव-काँव


कव्वे की काँव-काँव

हमारी अपनी दैनिक काँव-काँव नहीं है

वह उनकी अपनी भाषा है


चिड़ियों की चीं-चीं हमारी चीं-चीं नहीं है

उनका आपसी संवाद है

आपसी प्रेम, दुख-सुख का इज़हार है

जो हमारी दुनिया को रोज़ सुबह-शाम न जाने कहाँ-कहाँ से

कितनी तरह के अनसुने-अनजाने

स्वरों से भर देता है

हम उनके सुखों का, दुखों का रोज़ अपनी भाषा में

अपमान किया करते हैं।



जो पता भूल चुके हैं

मित्र यादवेंद्र की एक पोस्ट से प्रेरित

एक बुज़ुर्ग बाज़ार में हैं

भूल चुके हैं अपना पता

बीच बाज़ार में बैठे रो रहे हैं


लोग आते हैं, दया दिखाते हैं, भावुक होते हैं

कोई-कोई पुलिस को फ़ोन करता है


नये आते हैं, पुराने चले जाते हैं


एक बच्चा आता है

उनकी उँगली पकड़ता है


अब वे दो हैं

और घर का पता नहीं है।



2047 का स्वप्न


काल्पनिक खेतों में

काल्पनिक किसानों ने

काल्पनिक बीजों और

काल्पनिक खाद से

काल्पनिक फसल उगाई

काल्पनिक मंडियों में बेचकर

काल्पनिक कमाई से

काल्पनिक पेट भरा

काल्पनिक डकार ले

वास्तविक देश का

काल्पनिक विकास किया


2024 में ही

2047 का स्वप्न

साकार किया


इस बात पर मैं आपकी ज़ोरदार ताली चाहूँगा।



इच्छा


प्रसिद्ध होना है

तो हत्यारा बनिए

फिर इच्छा हो तो

प्रधानमंत्री बनिए।




विष्णु नागर समादृत कवि-लेखक हैं।


कविता संकलन : मैं फिर कहता हूँ चिड़िया, तालाब में डूबी छह लड़कियाँ, संसार बदल जाएगा, बच्चे, पिता और माँ, कुछ चीज़ें कभी खोई नहीं, हँसने की तरह रोना, घर के बाहर घर, जीवन भी कविता हो सकता है, कवि ने कहा, ऐसा मैं हिंदू हूँ।


कहानी संग्रह : आज का दिन, आदमी की मुश्किल, कुछ दूर, ईश्वर की कहानियाँ, आख्यान, रात-दिन, बच्चा और गेंद, पापा, मैं ग़रीब बनूंगा।


उपन्यास : आदमी स्वर्ग में। 


इसके अतिरिक्त व्यंग्य, निबंध आलोचना, साक्षात्कार, संस्मरण जैसी विधाओं में लेखन। 


पुरस्कार/सम्मान :  शमशेर सम्मान, हिंदी अकादेमी, दिल्ली का ‘साहित्य सम्मान’, मध्य प्रदेश सरकार का ‘शिखर सम्मान’, व्यंग्य के लिए ‘व्यंग्य श्री’ सम्मान, परंपरा ऋतुराज सम्मान, रामनाथ गोयन्का पत्रकार शिरोमणि पुरस्कार, राही मासूम रज़ा साहित्य सम्मान, अखिल भारतीय कथा पुरस्कार आदि।


इस प्रस्तुति में ‘उनकी काँव-काँव’ एवं ‘जो पता भूल चुके हैं’ कविताएँ ‘ऐसा मैं हिन्दू हूँ’ पुस्तक से साभार।

3 comentarios


Invitado
13 ene

आसान भाषा में पाठक और समय के मर्म को छूती अच्छी कविताएं

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Shankaranand
13 ene

विष्णु नागर की कविताएं हमारे समय का सच जिस भाषा में बयान करती हैं वैसी भाषा लगभग दुर्लभ है। क्रोध, पीड़ा, विरोध,खीझ, प्यार, सरकार सबकुछ इन कविताओं में है। उनकी बुनावट इस तरह है कि कविता कील की तरह कहीं चुभ जाती है। उनकी कविताएं पढ़ कर चुपचाप निकल जाना आसान नहीं होता।


-शंकरानंद

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Invitado
13 ene

बहुत सुंदर कार्य team golchakkar 👏❤️

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