मौमिता आलम की कविताएँ
- golchakkarpatrika
- Jul 13
- 3 min read
Updated: Sep 22

मौमिता आलम की कविताएँ
अनुवाद : भरत यादव
लैम्पपोस्ट
बारिश में सड़क के किनारे वे
चुपचाप देवताओं के पतन को
देख रहे हैं,
उनके पूरी तरह से साफ़-सुथरे हाथों से
ख़ून टपक रहा है।
वे उन युवाओं की अनकही कहानियों के
वृत्तांतकार हैं
जो उस अंतिम दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं
जब अत्याचारियों को लैंप पोस्टों से
रस्सी से बांध दिया जाएगा,
कौवे शासकों की खालें नोचेंगे,
वे न्याय के दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं,
शांति से आँखें बंद करने के लिए तरस रहे हैं
जब न्याय की आँखें उत्पीड़ितों के लिए
न्याय को जन्म देंगी।
अकेले दर्शक खड़े हैं,
वे मृत आँखों के देश में इतिहास की पुस्तकें हैं।
आज़ादी
वे कहते हैं
हम सुनते नहीं
वे कहते हैं कि
हम सहमत नहीं हैं
वे मारते हैं
हम जन्म देते हैं
वे शांति की बात करते हैं और
हमारे देश को क़ब्रिस्तान में बदल देते हैं,
वे दोनों पक्षों के लिए शतरंज खेलते हैं,
हम उन्हें छाया में जीतने देते हैं
वे नहीं जानते कि
हमने बहुत पहले ही लड़ाई जीत ली है
जूते हमारे दिलों पर राज नहीं करते हैं
स्वतंत्रता हर दिन आंगनों में जन्म लेती है।
एकवर्णी मृत्यु
मृत्यु के पास उनके लिए कोई छाया नहीं है
न छाया है, न रंग है
यह तो एक नीरसता है
बस तुच्छ सांस को रोक देना है
दम घुटना, झगड़ालू
निमोनिया बुखार, मधुमेह, स्ट्रोक सभी एक ही हैं
उन्होंने किराने का सामान जमा नहीं किया है
उनके पास कल नहीं है
उनके पास आज ही है
वे इक्कीस दिन तक नहीं जीते हैं
वे अगले भोजन के लिए मौजूद हैं।
युद्ध गाथा
युद्ध में कौन मरता है
ग़रीब और ग़रीब
युद्ध में कौन मरता है
शोषित और पीड़ित
युद्ध में कौन मरता है
पीड़ित और पीड़ित
युद्ध में कौन मरता है
हाशिए पर के लोग और
हशिए पर के लोग
युद्ध में कौन मरता है
महिलाएँ और महिलाएँ
युद्ध में कौन मरता है
बच्चे और बच्चे
और कौन जीतता है?
धन : श्वेत. अश्वेत. मुसलमान.
हिंदू. ईसाई. यहूदी और सभी
टूटा हुआ चश्मा
साथ मिलकर सुंदर चेहरे बनाते हैं,
सुंदरियों के अहंकार को बढ़ाते हैं,
कौन कौन है, इस पर विश्वास पैदा करते हैं
चुलबुलेपन की लड़ाई
और टूटे हुए टुकड़ों में केवल
कई टूटी हुई छवियां प्रतिबिंबित होती हैं
जो रक्त और रक्त का कारण बनती हैं।
जादुई क्षण
कुछ पल हम जिंदगी से इसलिए छीन लेते हैं
ताकि उन्हें आँखों से नहीं बल्कि दिल से देख सकें।
ये वे क्षण हैं जो हमारे सांसारिक अस्तित्व के बीच
हमारे सामने आते हैं।
हमने इन महत्वपूर्ण क्षणों को अनदेखा करना चुना,
ताकि हम उन बातों की खोज कर सकें जिन्हें हम
स्वयं नहीं जानते।
ये वे क्षण हैं जो हमें कैनवास और
उस महान कलाकार के बारे में बताते हैं जो जानता है
कि क्या डालना है और हवा,
सूर्य की किरणों और हमारी आँखों के माध्यम से
कैसे रेखाएं खींचनी हैं।
हमारा अस्तित्व इस विशाल कैनवास का
एक छोटा सा कण है जो जादुई क्षणों से भरा है
जिसे हम कभी-कभी देखना चुनते हैं और
हमारे कानों में एक आवाज़ सुनाई देती है
क्या जीवन कोई वरदान नहीं है?
क्या ज़िंदगी कोई जादू नहीं है
क्या यह तुम ही नहीं हो जिसने मरना चुना है?
जहाँ मैं तुम्हें खोजती हूॅं
मैं तुम्हें खोजती हूँ
जहाँ अंधेरा और प्रकाश एक साथ मिल जाते हैं,
अपना अहंकार त्याग कर रंग बदलते हैं,
जहाँ मुझे लगता है कि
कुछ नया चुपके से आ रहा है
ताकि हमें आत्मनिरीक्षण करवाए कि
हम क्या थे,
जहाँ मैं अपना चेहरा तुम्हारी गोद में छिपा लूँगी
और तुम खजूर के पेड़ों की पत्तियों को हिलाते
हवा की आवाज़ सुनोगे,
जहाँ तुम और मैं मिलकर चुपचाप देखेंगे कि
कैसे कुछ नया
गुफा से तत्परता के साथ लेकिन
जल्दबाज़ी में नहीं, बाहर आ रहा है।
मैं तुम्हें प्रकाश में या
अंधकार में नहीं,
बल्कि उन दोनों के बीच खोजती हूँ,
जहाँ तुम और मैं वैसे नहीं हैं जैसे हम थे।
बांग्ला और अंग्रेजी में लिखनेवाली मौमिता आलम एक प्रमुख युवा भारतीय कवि एवं लेखक हैं। वे उत्तरी बंगाल के जलपाईगुड़ी से हैं। अब तक उनकी पाँच किताबें (तीन अंग्रेज़ी और दो हिन्दी एवं तेलुगू में अनूदित) प्रकाशित हुई हैं। उनकी कविताएँ हिन्दी, मराठी, तेलुगू और मलयालम में अनूदित हुई हैं। देश की प्रमुख अंग्रेज़ी पत्रिकाओं में वे निरंतर लिखती आ रही हैं। प्रस्तुत कविताएं उनकी अंग्रेज़ी पुस्तक The Musings of the Dark से ली गई हैं।
भरत यादव मुक्त पत्रकार, कवि एवं अनुवादक हैं। अब तक तीन मराठी किताबें प्रकाशित। ईमेल : yadavbh515@gmail.com
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