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क्रिस्टीना पेकोज की कविताएँ

  • golchakkarpatrika
  • Jul 6
  • 8 min read
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क्रिस्टीना पेकोज की कविताएँ 
अनुवाद : रति सक्सेना


जो डरे नहीं गाने से

(डाॅ. जानस्ज कोर्जाक के लिए)

 

पंक्ति के

अन्त में

उन्हें मालूम था

कि क्या करना है

 

बच्चों को साथ लिए

बॉक्सकार से

निकल कर

वे चलते हुए

पहुँच गए गैस चैम्बर में

गाते हुए।



दो औरतें,  एक पियानो,  एक घड़ी


शहर के छोटे से फ्लैट के

सामान से अटे एक कमरे में एक पियानो है


जब भी वह उसे बजाती है

घंटों याद करती है

स्कूल में ड्रिलिंग स्केल्स को


गाँव में एक घड़ी है

जो एक छोटे से घर में बजती है


हर बार, जब वह कुर्सी पर चढ़ती है

घड़ी में चाभी भरने को

वह याद करती है सूअरों को

जिन्हें उसे ख़रीदना है

पालने के लिए।



घर वापसी ‌(पोलेण्ड में)


1.


ज़मीन भूल गई उसे

बच्चा ही तो था वह

जब घर छोड़ कर गया


सेब का दरख़्त 

जिसे लगवाने में उसने मदद की थी

फलने को तैयार है फिर से

करीब साठ फसलों के बाद

उसके जाने के बाद की

 

आर्केड को भी याद नहीं कि

कितनी नाजुकता से

उसने जड़ों के पास की गन्दगी

साफ़ की थी, और

झुक कर टेढ़ी हुई डाल के करीब

हौले से मिट्टी थपथपाई थी

 

दरख़्तों को याद है केवल कलियां

और उनका खिलना

फल और फसल

फिर सर्दी के मौसम में

एक गहरी लंबी नींद

 

केवल उसे ही याद है उसकी

वह जो सबसे बूढ़ी है 

बहुत कम बताती है :

उसके काम से भरे लम्बे दिन

काम, काम

 

सेब झड़ कर सड़ रहे हैं,

काम बढ़ गया है 

चुनना और पकाना

आधे दिन तक आग सुलगाना

फिर असन्तुष्ट नींद।


2.


सूरज पार चला गया

खेतों और आलुओं ने

सफेद मांसपेशियों को ढीला छोड़ दिया

गीले खेतों में।


3.


मेरे पिता एक दूसरी ज़िन्दगी को याद करते हैं

एक जो तंदूर में जला दी गई

एक जो ज़मीन में दफ़ना दी गई

 

कौन शोक मनाता है यहूदियों के लिए?

भुला दिए गए लोग, विदेशी

जो ईसा को नहीं पूजते

लेकिन इंतज़ार करते रहे उसका

जब तक वे ख़ुद ही मिट गए

 

मेरे पिता भी इंतज़ार करते हैं

सोचते हैं कि, काश वे भी यहीं रहते

और मर सकते उनके साथ

वे जो दुकानदार,

लाल सिर वाली औरतें

और बच्चे, बतखें और बकरियां चराने वाले।

 


एक ख़त जो कभी भेजा नहीं गया 

 

मैं समंदर से कोई सौ किलोमीटर दूर त्रिकोण के कोण में रहती हूँ, जो यूनाइटेड स्टेट के पश्चिमी किनारे पर है। मैंने नक्शे में देखा कि तुम चारों तरफ से बंद ज़मीन में रहते हो जो गिडिनिया और डेनिस्क बाल्टिक के बंदरगाह से काफी दूर है। इधर मैं खरपतवार की खुशबू से जागती हूँ। कुछ दिनों से सूरज कोहरे से लिपट कर रहा है। टेलीफोन के खंभों के ऊपर कौए काँव-काँव कर रहे हैं। दुपहरी का पहला पहर है और गुलें हवा में खिलवाड़ करती हुई घर की छत पर से उड़ती निकल रहीं हैं। कभी-कभी सूरज ढ़लने के बाद रात गहराने से पहले ओलम्पिक के पिछवाड़े से बगुले पंख फटकारते हुए पश्चिम की ओर 

उड़ते हुए निकल जाते हैं । यहाँ घोंघिल पक्षी नहीं होते हैं। मेरी पक्षी वर्णन किताब कहती है कि यह पुराने ज़माने की प्रजाति है। तुम्हारी दुनिया, मेरे पिता की दुनिया पचास वर्ष पहले का स्मरण रखती है। अभी हाल ही में मैंने नेशनल ज्योग्रफी की किताब में पढ़ा है कि स्टार्क लुप्त होने के कगार पर हैं। क्या कभी तुमने सोचा कि क्या नहीं है? मौसम कैसा है? पिछली जुलाई में मिले आंटी के खत में मार्च के महीने में बाढ़ और फसल के नष्ट होने के बारे में लिखा था, हमने उस ख़बर को कई बार पढ़ा था, आख़िरकार कुछ तो सूचना मिली। हालांकि ख़त खुला आया था। मैं वह सब नहीं लिख पा रही हूँ, जो सोच रही हूँ क्योंकि जानती नहीं कि क्या सच है, क्या नहीं। मैं खतों के माध्यम से रास्ता पकड़ लेती हूँ, और कल्पना करने लगती हूँ— मैं बसन्त से खराब हुए पहाड़ों के ऊपर पुरानी बर्फ़ पर चल रही हूँ। तुमने सर्दियों के लिए खाना जमा कर लिया न? भंडार को प्याज और आलू से भर लिया ना? लाल और सफ़ेद दोनों तरह के? बरनियों में कपूस्ता भर कर लटका लिया है ना। क्या अब भी तुम मीट के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है? अब लाइन लगती भी है कि नहीं? क्या अब कोई सुबह-सुबह उठकर नीले आसमान के नीचे धूप मे कुकुरमुत्ते फैलाता है? और फिर चूल्हे के करीब रैक में रख कर सुखाता है? इन शब्दों के लिखे जाने तक, जिन्हें तुम कभी भी नहीं देख पाओगे। मैं कहना चाहती हूँ कि मैं तुमसे प्यार करती  हूँ, पर तुम प्रश्नवाचक हो। एक पूरे साल जेल में रहने के बाद। वालेसा कहता है कि मुझे सावधान रहना चाहिए। मुझे सोचने के लिए वक़्त चाहिए। मैं उससे सहमत हूँ, लेकिन मैं सब कुछ छोड़-छाड़ कर तुम्हारे दिल तक पहुँचना चाहती  हूँ। भावों में बहना अच्छा लगता है, यदि इनका तुम्हारे विरुद्ध उपयोग किया जाए तो। पूरी ज़िंदगी मैं तुम्हारी ओर झुकी रही। तुम लुबलिन के दक्षिण में हो, गेलिशिया से ज़्यादा दूर नहीं, चेज तोचावा से कई मील दूर पश्चिम में। मुझे मालूम है कि तुम कहाँ हो, पर नहीं जानती कि वहाँ तक कैसे पहुँचे? नाम लेने में मन को आराम मिलता है, पर इतना ही तो काफी नहीं। मैं बचपन के दिनों की याद करते हुए उन खतों को याद करती हूँ जिनमें विदेशी भाषा में कुछ लिखा था। उसका जवाब– अच्छे कच्छों का पैकेट, गरम जुराब, नायलॉन, लिपस्टिक, टिन फूड, आदि। उसने सीटी बजाई मानो कि यह काम उसका हो। फिर उसने सफेद आटे की बोरी उन डिब्बों के चारो तरफ लपेट दी और पुराने कपड़े से खाल की तरह कसकर बांध दिया। इसके बाद सूजा लेकर अच्छी तरह से सी दिया। आधी उँगली रहित अकड़े हाथों से उसने स्याही की बोतल निकाली, जिसे उसने इसी काम के लिए सहेज कर रखा था, फिर स्याही में निब डुबो कर तुम्हारा पता लिख दिया। सफ़ेद पर काले अक्षर, हर अक्षर ने ज़रूरत से ज़्यादा समय लिया। मुझे लगता है कि मैं अपने बारे में लिखाने की जगह उसके बारे॓ ज्यादा लिखा रही हूँ, किन्तु उसका प्यार तुम्हारे और मेरे प्यार के आसमान के बीच का पुल था। मैं और क्या कह सकती हूँ, मैं एक अधेड़ औरत, एक लेखक, जैसा कि यहाँ जानी जाती हूँ, तुमसे मुहब्बत करती हूँ। पतझड़ करीब, करीब ख़त्म हो गया, और तुम्हारी और मेरी दुनिया सर्दी के मौसम में प्रवेश कर गई। जब तुम बेहद अंधेरे में क्रिसमस में रोटी बांटोगे, मैं तुम्हें याद करूंगी।



शादी में हवा का चलना

 

हवा दुल्हन की पोशाक की किनारी  ऊपर उठा देती है।उसने  सफ़ेद जूते पहने हुए हैं। गली के कठोर पत्थरों के बीच, स्कर्ट के उठे हुए घेरे में दुल्हन के पैर कमज़ोर लग रहे हैं। दुल्हन मानो एक घंटी है, जो बजने का इंतज़ार कर रही है।

 

हवा तो आती-जाती है, लेकिन दुल्हन स्थिर है और ल्यूबेल्स्की को कभी नहीं छोड़ सकती। संभवत: वह अपने पति के साथ छुट्टियां मनाने काला सागर जाएगी, लेकिन वहाँ वह अपनी सफ़ेद पोशाक नहीं पहनेगी। फिर कभी वह घंटी नहीं बन पाएगी, उसके सारे नोट निकल जाएंगे, चाहे वह ल्यूबेल्स्की के एक फ्लैट में रहे, या रेत में डूब जाए।

 

हवा पुरानी है, सब कुछ समझती है,  लेकिन, दुल्हन के पैरों की तरह ही पत्थरों के ख़िलाफ़ ताकतवर नहीं है. लोगों के दिल को उमंगित करने की ताकत नहीं है उसमें। 


हवा में केवल दुल्हन की पोशाक की किनारी को ही उठा पाती है, जो अपने को उच्चवर्गीय दिखाने के लिए ऊँची एड़ी वाले सफ़ेद जूते पहनी है। 

 

दूल्हे के हाथों में सफ़ेद दस्ताने हैं। उसके पैरों के नीचे भूरे  पत्थर हैं। हवा जितने पुराने हैं, शायद और भी पुराने।

 

क्राकाव में सेंट मैरी चर्च के आंगन में  पत्थरों में जीवाश्म जड़े हुए हैं। दूल्हा-दुल्हन बिना सोचे प्राचीन जानवरों पर पैर रख देंगे। जब तुरही वादक मीनार से धुन बजाता है तो कल्पना करता है कि वह अपने गीत को आकाश की ओर उछाल रहा है, जो समुद्र की तरह है, नीला और उफन रहा है, लेकिन मछलियां नहीं निगल रहा है। इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है : मुट्ठी, मुर्गी, मानव मांस? हम सभी का भाग्य एक जैसा है।

 

दूल्हा और दुल्हन इंतज़ार में हैं कि कब घंटिया बजें, एक तन होने की अनुमति मिले। हवा उसकी पोशाक को थोड़ा उठा  देती है और जब दूल्हा उसके पैरों को घूरता है तो दुल्हन शरमाती नहीं है। क्यों शरमाए?

 

पुराने शहर में बहने वाली हवा एक दयालु है। बुद्धिमान और दयालु, दादा-दादी की तरह बूढ़ी। दूल्हा और दुल्हन सोच रहे होंगे कि यही दिन उन्हें कभी बगीचे में ले जाएगा और धूप में उनकी गोद में पोते-पोतियां खेलेंगे।

 

 शांति।

 

दूल्हा-दुल्हन युवा हैं। उन्होंने कभी युद्ध नहीं जाना, लेकिन हवा यह नहीं भूल सकती कि सभी दिशाओं में वह मृतकों की पलकों के ऊपर से कैसे बहती रही है। आज हवा सिर्फ़ एक साधारण-सा मज़ाक कर रही है और एक दुल्हन की पोशाक उठाकर दुनिया को उसके जूते, उसके टखने दिखा रही  है।

 

हवा को किसी तरह का भ्रम नहीं है,  पोशाक उठाने का अर्थ दिल उठाना नहीं है, शायद दूल्हे को छोड़कर, जो दुल्हन के टखनों को घूरे जा रहा है। वह शायद तलवो के नीचे नीली नसें चूमना चाहता है, शायद वह वहाँ से शुरु करना चाहता है। 

 

हवा जानती है कि लोगों का दिल भूखा है, लेकिन यह क्या? मीट के लिए पंक्ति, दूध के लिए पंक्ति, ब्रेड के लिए पंक्ति, वोदका के लिए पंक्ति, उसकी हथेलियों में लकीरे। उसके जीवन का नक्शा वारसा विद्रोह के एक ग्रेनेड खत्म हो गया। 

 

लेकिन यह सैनिक यहाँ क्या कर रहा है, यह युद्ध का मैदान नहीं, यह शादी है। 

 

इस देश में काफी कुछ है याद करने को, बेहतर है कि हवा द्वारा पोशाक उठाने को देखें, मानो कि बादल स्लेटी पत्थरों पर से चर्च की ओर जा रहा हो।



मोर्स्की ओको लेक, जाकोपेन में

 

यह देश स्लेटी है

यहाँ तक कि आसमान नीला हो, तब भी

और आज तो बरस रहा है

 

धुंध आप ही इकट्ठी हो जाती है

पहाड़ों को पकड़ती

शांत मुट्ठी

 

स्लेटी आदतों वाली ननें

स्लेटी चट्टानो पर चल रही हैं

झील की परिक्रमा करने को

 

क्या यह कुछ ज़्यादा स्लेटी है

देखो, दरख़्त हरे हैं

काई जमी ज़मीन इंतज़ार में है

 

निज़ापोमिनाकजी की छोटी नीली आँखें

देख रही हैं

 

ननें चली गईं हैं, केवल झील का किनारा

समुद्र की आँख दिखाई दे रही है

एक्वामरीन रंग के किनारे पर

ट्राउट मछलियां ठंडे पानी में

पूंछ हिलाती तैरती है

वही आसमान है



क्राको का तुरही वादन

 

मैं पोलिश के रूप में अपने सम्मान की शपथ लेता हूँ,

पोलिश राजा के सेवक के रूप में शपथ लेता हूँ

कौम के लोगों, मैं मरणपर्यन्त विश्वासयोग्य रहूंगा 

 

यदि आवश्यकता हो,  हेनाल की तुरही के साथ

सम्मान में आवाज़ उठाओ

उनके नाम पर चलते चर्च में

हर घंटे

अपनी लेडी के टावर में



आंटी

(वर्जिन मैरी की मान्यता, 15 अगस्त)

 

1.

 

वे स्वर्ग चली गईं

अब वे कहाँ से हमारी

रक्षा करेंगी 

 

वे धरती हैं

हमें कैसे भुला सकती हैं

 

कल रात

आधे चंद्र के नीचे

वे धुएं के साथ

ऊपर उठीं

 

पराली के अलाव ने

जल कर उनका 

रास्ता रौशन किया

 

जब वे चाँद के 

सामने से गुज़रीं 

उनकी परछाई पड़ी


यह सपना था


फेलिनो के खेतों में 

दलदल पार कर

तीन स्त्रियां 

मेरे पास आईं

 

मुझे एक प्रपात दिखाने के लिए


मैं पूरे दिन खोजती रही

हरेक पत्ती पर

हरेक लार्क चिड़िया में।

  

2.

 

आंटी गुलदस्ते को सहेजती हैं

जो उनकी बहू ने बनाया था

चर्च में आशीष पाने के लिए

 

खसखस, जौ, बाजरा, डिल डहलियास 

शतावरी फर्न, पत्तागोभी के पत्ते

डेज़ी ग्लेडियोली, हरी फलियां, 

गुलाब और फ़्लॉक्स का

 

जब गाय ब्याती है 

सूखे फूल फिर से खिल कर 

जल को मीठा कर देते हैं

मेरी के आशीष से थनों में दूध आता है।

 

3.

 

सुअरिया और उसके दस बच्चे

बंद बाड़े  में घूमते हैं

मैं कीचड़ और धूप में

एक स्टूल पर बैठी  हूँ

हम सब छुट्टी पर हैं

 

बारिश के बाद

कैमोमाइल की गंध

सूअरों को निकालने के बाद

चर्च की धूप के समान मजबूत

 

सूअर आवाज़ करता है

तेज़ आवाज़ में

सूअर के बच्चे नन्हे-नन्हे खुरों पर

कीचड़ के बीच भागते हैं

उनकी तरफ़।

 

4.

 

एक महिला सिर पर 

सफेद स्कार्फ पहने

लाल पोशाक के साथ

उबड़- खाबड़ सड़क पर 

चर्च की ओर जा रही है।



क्रिस्टीना पेकोज कवि, समाजसेविका और अध्यापिका थीं। उनके पिता महात्मा गांधी से प्रभावित थे, जिसका प्रभाव उन पर भी पड़ा है। फिलहाल वह अमेरिका के केंसास सिटी में रहती हैं। उनकी अनेक कविता पुस्तकें प्रकाशित हैं। ये कविताएँ "This is not a place to sing" नामक पुस्तक से ली गई हैं, इन कविताओं में उनके पिता के पैतृक स्थल पोलैण्ड और उससे जुड़ी स्मृतियां हैं जिन्हें कवयित्री ने तब गहरा महसूस किया जब उन्हें अतिथि कलाकार के रूप में वहाँ काम करने का अवसर मिला। 



रति सक्सेना कवि, आलोचक, अनुवादक और वेद शोधिका हैं। उनसे अधिक परिचय के लिए देखिए : रति सक्सेना की कविताएँ












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