गिओकोंडा बेली की कविताएँ
- golchakkarpatrika
- Sep 23
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गिओकोंडा बेली की कविताएँ
अंग्रेज़ी से अनुवाद : योगेश ध्यानी
तुम क्या हो, निकारागुआ?
तुम क्या हो-
पृथ्वी का एक छोटा सा त्रिभुज
संसार के मध्य खोया हुआ?
तुम क्या हो-
चिड़ियों की उड़ान
गार्डाबैरंको
सेनजोनटल
हमिंगबर्ड?
तुम क्या हो-
नदियों का शोर
चिकने और चमकदार पत्थरों वाली
पहाड़ों पर पानी के पदचिह्न छोड़ती?
तुम क्या हो-
पृथ्वी से बने औरत के स्तन
कोमल, नुकीले और धमकी भरे?
तुम क्या हो-
विशाल पेड़ों में पत्तों का गीत
हरे, पेचीदा और कबूतरों से भरे?
तुम क्या हो-
दोपहर में उठने वाला दर्द और धूल और चीखें
"चीखें, जन्म देती स्त्रियों जैसी"
तुम क्या हो-
भिंची हुई मुट्ठी और भरी हुई बन्दूक़?
तुम क्या हो- निकारागुआ
जो मुझे इतना दर्द देते हो?
हड़ताल
मैं चाहती हूँ हम सब हड़ताल पर चले जाएं
हमारे हाथ, हमारे पैर, हमारे केश हड़ताल पर चले जाएं
सबके भीतर एक हड़ताल हो
मैं हड़ताल चाहती हूँ
दुकानों की, चालकों की
कबूतरों की, फूलों की
टेक्नीशियनों की, मजदूरों की
बच्चों की और औरतों की
मैं इतनी बड़ी हड़ताल चाहती हूँ
जो प्रेम तक पर लागू हो
एक हड़ताल जहाँ सब कुछ रुक जाता है
घड़ी, नर्सरी, स्कूल
फैक्ट्री, बस, हाईवे
व्यापार, दरवाज़े
आँखों की, हाथों की, चुम्बनों की हड़ताल
हड़ताल जिसमें साँस लेने की भी मनाही हो
हड़ताल जो सन्नाटे को जन्म दे
ताकि हम सब सुन सकें
तानाशाह के प्रस्थान की पदचाप।
मजबूत औरत के लिए मशविरा
अगर तुम मजबूत औरत हो
अपने आपको परभक्षियों से बचाओ
जो भोजन में तुम्हारा जिगर खा जायेंगे।
वे धरती के हर उत्सव से पोशाक पहनते हैं:
वे अपराध और अवसर का रूप धरकर आते हैं
उस क़ीमत का रूप धरकर जो तुम्हें चुकानी होती है।
वे तुम्हारी आत्मा का कोना-कोना छानते हैं;
तुम्हारे अस्तित्व की भीतरतम अग्नि को भेदती
उनकी दृष्टियाँ और चीखें
तुम्हारी अग्नि में प्रकाश नहीं खोजतीं
बल्कि बुझाना चाहती हैं तुम्हारे जुनून को
तुम्हारे सपनों की मनीषा को।
अगर तुम एक मजबूत औरत हो
तो जानो कि हवा जिसे तुम साँस में भरती हो
उसमें परजीवी, ततैये, महीन कीड़े हैं जो तुम्हारे रक्त में घुलना चाहते हैं
और तुम्हारी हर उस चीज़ को खा जाना चाहते हैं जो शानदार और ठोस है
दया को मत त्यागो, लेकिन हर उस चीज़ से भय खाओ
जो तुम्हें अपनी आवाज़ को त्यागने,
जो तुम हो उसे छुपाने पर मजबूर करती है,
हर उस चीज़ से जो एक सन्तोषभरी मुस्कान के बदले
तुम्हें पृथ्वी पर स्वर्ग का वादा करते हुए
तुम्हें छोटा करती है।
अगर तुम मजबूत औरत हो
युद्ध की तैयारी करो:
सीखो अकेले रहना
बिना किसी डर घुप्प अंधेरे में सोना
गरजते तूफान में किसी से रस्सी फेंकने की अपेक्षा मत करो
धारा के विरुद्ध तैरना सीखो
अपने आपको शिक्षित करो
तर्क और बुद्धि की कला में।
पढ़ो, अपने आप को प्यार करो, अपना किला बनाओ
इसे चारों तरफ गहरी खाई से घेर दो
लेकिन इसके दरवाज़े और खिड़कियाँ पूरी तरह खोल दो।
तुम्हारे लिए ज़रूरी है कि तुम दोस्तियाँ करो
ताकि वे जो तुम्हें चाहते हैं, तुम्हारे होने का अर्थ समझते हैं
तुम्हारे कमरे के बीच धधकती हुई अग्नि जलाएं
उस भट्टी को आग देने के लिए
जिस पर तुम्हारे सपने पकते रहें
अगर तुम मजबूत औरत हो
अपने आपको शब्दों और पेड़ों की आड़ दो
और प्राचीन औरतों की स्मृति का आह्वान करो।
समझो कि तुम एक चुम्बकीय क्षेत्र हो
जंग लगे नाखून तुम्हारी तरफ लपकेंगे
जहाज़ की तबाही से पैदा हुआ घातक जंग भी।
आश्रय दो लेकिन सबसे पहले ख़ुद को।
अपनी दूरी बनाकर रखो।
अपनी ताकत बढ़ाओ, अपनी फिक्र करो।
अपनी शक्ति को बचाकर रखो।
इसकी रक्षा करो।
और यह स्वयं करो।
मैं सारी औरतों की तरफ से तुमसे कहती हूँ।
स्टीफन व्हाइट द्वारा स्पेनिश से किये गये अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित
1948 में जन्मी गिओकोंडा बेली निकारागुआ की प्रसिद्ध कवि, लेखिका और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। 1970 में बेली सिंडिकेट नेशनल लिब्रेशन फ्रंट से जुड़ीं जो कि एक सशस्त्र क्रांतिकारी समूह था जिसने अनास्तासियो सोमोज़ा के 45 साल के तानाशाही शासन के विरुद्ध संघर्ष किया। उनकी राजनीतिक सक्रियता ने उनके लेखन को भी प्रभावित किया। उनका लेखन ख़ास तौर पर लैटिन अमेरिका में बराबरी के प्रश्नों, जेंडर और पर्यावरण जैसे विषयों से जुड़ता है। प्रकृति में बेली की रुचि खेती, ज्वालामुखी और तूफानों से बने निकारागुआ के प्राकृतिक वातावरण के अनुभव से सम्बद्ध है। बेली प्रकृति को स्त्री से भी जोड़ती हैं, तथा पर्यावरण के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करती हैं।
योगेश ध्यानी एक कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे पूर्व परिचय के लिए देखिए : फ़ोरुग फ़रुख़ज़ाद की कविता , नाओमी शिहाब नाए की कविताएँ
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बेहद विचारोत्तेजक विमर्श करती शानदार कविताएँ, कवि-अनुवादक और प्रस्तुतकर्ता, तीनों को बधाई!!!
कविताएं अच्छी हैं। गोलचक्कर ने नई नई कविताओं के जरिये पाठकों का ध्यान खींचा है। बधाई
बेहतरीन कविताएं
बेहतरीन प्रस्तुति।
पहली दो कविताएं बढ़िया हैं